वे इन्तहा ,
इंतिहान न थी बेइंतहा प्यार किया था,
चाँद से ज्यादा दीदार किया था उनको।
सारे सपने सारे एतवार टूट गए,
दिल यह कहकर रोया क्यों एतवार किया था उनको।
अब किसी से नजर मिलाने की हिम्मत न रही अंजुम,
बस एक बार जो इजहार किया था उनको,
मेरे नाम जमाने की खिजाएँ आ गयीं ,
एक बार जो बे बहार किया था उनको।
हसरतें आज हमारी हमसे लिपटकर कहती हैं,
क्यों प्यार बे शुमार किया था उनको।
बफा भी जार हो सिसकती है, कराहती है,
जब से उसने तार तार किया था उनको।
आईने में मेरी जगह वो ही नजर आता है,
पर उनकी नजरों में हम न थे कई बार दीदार किया था उनको।
उनकी पलकों में गजब की वे अदबी थी,
मेरी नम पलकों ने कई बार शर्मसार किया था उनको।
हर बार उनके गुनाहों को माफ किया हमने,
न जाने कितने शिकवों को नजरअंदाज किया था उनको।
हर बार वादा एक बार दे दो पूरी शिद्दत से चाहेंगे तुमको,
न जाने कितनी बार दिल उधार दिया था उनको।
Fiza Tanvi
07-Sep-2021 11:32 AM
👌👌
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Niraj Pandey
07-Sep-2021 10:40 AM
वाह बहुत खूब
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